इतने अरसे से तुम्हारे मूह से कोई बात नही आई।
इतने अरसे से तुम्हारे मूह से कोई बात नही आई। जब बात आई उसमे भी हमारी बात नहीं आई। इससे भला बड़ा दुख क्या होगा। की जिन्दगी मिली किसी भी काम ना आई
ये हवा आई बरसात ना आई। किसी का दिन ढला पर रात ना आई। कोई बोलता रहा किसी को बात ना आई। कोई यादों में तड़पा। किसी को याद ना आई।
तुम आए तुम्हारी नजर हम पर ना आई। जैसे रोशनी मिली पर राह नजर नहीं आई। इस दिल की धड़कन बढ़ी। पर कोई बात बढ़ ना पाई। इस बार भी हमारे नसीब में खैरात आई।
कोई चाहे सांसे रोकना किसी को अगली सांस ना आई। कैसी पहेली है ये जिंदगी किसी को कभी समझ ना आई। तुम रोए, हम रोए, रोए सभी अपने रोए। रोने से गई रूह कभी वापिस नहीं आई।
कैसे कह दे जमाना हमारे साथ नहीं। हमे बर्बाद करने मे अकेला हमारा हाथ नहीं। इनसे बढ़ा कर रखा करो नजदीकी। फिर ना कहना हमारे मरने की खबर नही आई।
बंजर ज़मीन उसकी हैं। ये बरसात उसकी है। ये दिन उसके है। ये रात उसकी है। हर चीज उसकी है। फिर क्यों चले वो कहे तुम्हारे। जब सारी कुदरत उसने बनाई।
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