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कोई कब, कहा, क्यों, चला जाता है। PART 1



कोई कब, कहा, क्यों, चला जाता है।


कोई कब, कहा, क्यों, चला जाता है। इस मौत को किसी को ले जाने में क्या मजा आता है।


है मालूम इसे तपड़पेंगे इसके लिए इसके चाहने वाले। फिर भी इसे रहम क्यो नही आता है।


हमसे मिला ना करो रातों में। लोगो को बात करने क्या मौका मिल जाता है। 


वक्त नहीं ठहरता किसी के लिए। एक बार जाता है। तो बस चला जाता है। 


ज़िद रहती है इन आंखो को दीदार को तुम्हारे। तुम आते नहीं और इन्हे नाराजगी का मौका मिल जाता है।


चैन पा लेती है तुम्हे देखने के बाद। वरना इन्हे पल भर को भी चैन नहीं आता है। 


गरुर -ए-जिस्म क्या करना जनाब मिट्टी है और एक दिन मिट्टी में मिल जाता है।


जब दिल हो आ जाना। जब दिल हो चले जाना। मुसाफिर का क्या है। कभी आता कभी जाता है। 


TO BE CONTINUED.....................


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