"लिखना फकत लिखना है तुझे बयान कर सके ऐसे लफ्ज़ ना बने है मेरी जान।तुझे तो ये कायनात चाहे और बेशुमार चाहे।और हमसे काफिरों की तो तू ही है पहचान।"
क्या क्या लिखू तेरे बारे में।
जितना लिखूं उतना कम लगता है।।
कभी लगता था तू हमको हमसे अलग। अब तो तू भी हमको हम लगता है।
पहली दफ्फा ये दिल बिना हसरत जुड़ा है किसी से। पता है इस बात पर याकिन कम लगता है।
आप सोच भी नहीं सकते इतना चाहते हैं आपको।की सोच को भी सोचने में एक जनम लगता है।
बहुत खुश है आपको पा कर।
पर रोते भी है कियोकी तुझे खोने से डर लगता है।
हर वक्त ये खयाल आपके खयालों में रहते है।
क्या इतना वक्त आपको भी सनम लगता है।
आप आओगे हमारे पास, चाहोगे हमे भी बेपनाह। हमे बार बार क्यों ये एक भ्रम लगता है।
अबकी बार आओगे तो थोड़ी जल्दी आना।
हमे हमारी जिंदगी का वक्त कम लगता है।
ये तारे भी गिन दिए हमने आपकी याद में।
हमे ये अशमा में भी क्यों कम लगता है।
क्या क्या लिखू तेरे बारे में।
जितना लिखूं उतना कम लगता है।
WRRITTEN BY:- KESHAV SHARMA
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