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कोई किनारा Koi Kinaara Na Dikhe My Life Poetry

हमे इस जिन्दगी मे सकून को पाना है। हमने आपको तो गवा दिया अब खुद को भी गवाना है।
छुना नही है हमे उस चीज को जिसे अपने नही छुआ।
हमने हमेशा आपकी चाही चीज को ही चाहना है।




तेरी यादों मे तन्हा रोए है अक्सर कोई ना हमारा दिखे। अंशु का  दरिया, हैं दरिया में डूबे कोई ना किनारा दिखे।

ये दुनिया के चहरे, है चहरों पर चहरे, हर चहरा बेचारा दिखे। तेरी यादों मे तन्हा रोए है अक्सर कोई ना हमारा दिखे। अंशु का दरिया, हैं दरिया में डूबे कोई ना किनारा दिखे।


ये हवाएं रुलाए। ये बारिश है चुभती। मुझे यादें बिगाये तेरी। ये धूप सकूं सी, ये चांदनी है चुबती। जो याद दिलाए तेरी। अब जख्मों से रिश्ता बनाया है हमने। ये आहे सहारा दिखे।तेरी यादों मे तन्हा रोए है अक्सर कोई ना हमारा दिखे। अंशु का दरिया, हैं दरिया में डूबे कोई ना किनारा दिखे।


हमे जो जो मिला है उसी ने है छोड़ा। कोई साथ निभाए जरा। ये दुनिया की बाते, है बातों में बाते, कोई दिल से करे तो जरा। अब चलते है तन्हा, अब गिरते है तन्हा, कोई तो सहारा दिखे। तेरी यादों मे तन्हा रोए है अक्सर कोई ना हमारा दिखे। अंशु का दरिया, हैं दरिया में डूबे कोई ना किनारा दिखे।


WRRITTEN BY:- KESHAV SHARMA



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