शेर
किन रंगो में उभरता है इश्क।
किन पैमानों में झलकता है इश्क।
तेरे संग रहे तो जिंदा रहे।
अब तो मौत बनकर गुजरता है इश्क।
तुम बेवफाई रहे करते तुम वफादार निकले।
हमने की बेवफाई हम बेवफा निकले।
अब अगर निकले तो बस ये निकले।
जिस्म हमारा हो और इससे जान निकले।
जिस जगह हो दफन वो कब्रिस्तान तुमहरा हो।
जब देखो तुम हमे बुरा हाल तुम्हारा हो।
यूं तो नाम अनेक है तुम्हारे जनाब।
पर हमारे जाने के बाद बेवफा नाम तुम्हारा हो।
एक हस्ती थी हमारी तुमने उसे खंडर बना डाला।
इन आंखों को इस दिल को पत्थर बना डाला।
हमारी दुनिया में भी खुशियां बसर करती थीं।
तुमने हमारी दुनिया को कब्रिस्तान बना डाला।
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