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तमाम रात ये खयाल रहा हमे।






















|| GAZAL IN HINDI || Hindi Poetry || Poetry ||

तमाम रात ये खयाल रहा हमे।


तमाम रात ये खयाल रहा हमे।

वो सोचता है तो क्या सोचता है हमे।


यूं तो लबों पर ना रहती है उनके

फिर क्यों पलके झुका के कसमकस में डालता है हमे।


उनकी मौजूदगी कितनी जरूरी है।

हमसे जादा वो जनता है हमे।


सुर्ख लब जब हस्ते है हमारे लिए।

एक अलग ही नशा चढ़ता है हमे।


खयाल हमारा भी सताता तो होगा उनको।

जैसे उनका खयाल सताता है हमे।


हमारे दिल में बैठे उनके बिना कोई।

मजाक में भी ये मशवरे ना दो हमे।


क्यों आंखो से नहीं समझता वो बाते हमारी।

क्यों हर बात को बोलना पड़ता है हमे।


सरारते इस कदर है उनकी। 

फोटो चूमता है हमारी चूमना भूल जाता है हमे।


उन रातों का हिसाब लूंगा उनसे मैं।

उन्होंने जिन रातों में अपने ख्वाबों से दूर रखा है हमे।


वो इश्क समझे या गुस्ताखी समझे।

हमे जीना है साथ उनके वरना जीना नहीं हमे।


जब तक लिखेंगे उनके लिए लिखेंगे ए केशव।

वरना लिखना भूल जाना है हमे।



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