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ये रात भाती है मुझे।


ये रात भाती है मुझे।


ये रौशनी चुबती है। ये शाम डराती है मुझे।

ये रात अजब है। ये रात भाती है मुझे।


तेरी यादों के मंजर में खोए से जाते है।

जब जब तू याद आती है मुझे।


नफरत हो गई है तेरे ख्वाबों से।

जिन में मिलने तू आती है मुझे।


जैसा अंधेरा बाहर है कुछ वैसा ही हमारे अंदर हैं।

शायद इस अंधेरे के कारण तू दिखाई नहीं देती है मुझे।


इन होटों ने सदा सभी के सलामती की दुआ मांगी है।

फिर ये किस की बदुआ लगी है मुझे।


इन तारों की टीम तीमाहट में अलग ही नशा है।

ये जमाने की जगमग खाती है मुझे।


हमारे लिए रातें गुजारना मर के जीने जैसा है।

तू तो सो जाती है अच्छी नींदें आती है तुझे।


हमको सताना भी आपकी एक अलग ही अदा है।

जब देखती है तेरी नजर मुझे रुलाकर जाती है मुझे।


केशव एक काम करूंगा मैं।

पंछी कैद करके आजाद करूंगा मैं।

आंखे मिच लूंगा अंशु देख कर।

जख्म देख कर उस पर नमक रगडूंगा मैं।


THANKS FOR READING

WRITTEN BY:- KESHAV SHARMA (kanha)


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