वो आए शहर हमारे हमे खबर ना हुई।
ए खुदा ये क्या बात हमारे साथ हुई।
वो आए शहर हमारे हमे खबर ना हुई।
सोच रहें थे की वो भूल गए होंगे हमे।
और देखो हमारी सोच हकीकत हुई।
कैसे,क्यों ये सवालात खा रहे है मुझे।
कैसे हो गया जुदा मुझसे। क्यो उससे वफा ना हुई।
बेहया, बेरहम कोई कैसे हो सकता है।
उससे मिल कर सीखा हमने। उससे मिलकर ख़बर हुईं।
उसने जमाने से कहा तो सच ही कहा होगा।
की हम बेवफा निकले। हम से वफा ना हुई।
आज निकल बैठे बाज़ार मे। इतनी शर्मिंदगी महसूस हुई।
जब जमाने की आँखें देखी हमसे हमारी आँखें उप्पर ना हुई।
उसने हमे छोडा कही का भी नही और ना ही छोडा मंज़िल पर ही।
उसे छोड जाना आसान लगा। उसे छोड़ जाने मे दिकत ना हुई।
हमारी रातें तो पीकर और लिखकर गुज़र रही है।
सुना उनकी रातें खुशमिजाज़ है। वो कैसे रोशन हुई
हमारी शायरी शायरी ना रही। एक अधूरा किस्सा लगती है।
वो कैसे मशहूर हुए। उनकी गजल कैसे मुकमल हुई।
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