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Baaki Reh Gya Hamara


| Nazm || Poetry || Shayari ||


इस रात के इलावा कोई और दोस्त हो हमारा।

इन गमों के इलावा भी कोई सहारा हो हमारा।

मर तो कभी के चुके है हम।

बस एक जलना बाकी रह गया हमारा।


तमना दर-ब-दर भटकी है हमारी। ख्वाब जामों से झलके है।

इतना कभी कोई ना तड़पे। जितना हम तडपे है।

हस्ती तो कभी की डूब गई हमारी। 

बस एक डूबना बाकी रह गया हमारा।


तुम किस इश्क की बात करते हो। हमे इसी इश्क ने जलाया है तुम जिस इश्क की बात करते हो। 

तुम भी हमारी तरह जी कर दिखाओ इस इश्क में। तुम तो अभी से मरने की बात करते हो।

हमारा वक्त तो बीत चुका कभी का।

बस अब बिताना बाकी रह गया हमारा।



THANKS FOR READING

WRITTEN BY:- KESHAV SHARMA (kanha)

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