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कही आग लगे और धुआं उठे।



कही आग लगे और धुआं उठे। 


कही आग लगे और धुआं उठे। 

ये सिगरेट जले और धुआं उठे।

 

हम सोए रात को थे तेरी बाहों के झूले में। 

कही और ही मिले जब सुबह उठे। 


जाम पर जाम पीते रहें हम। ना नशा शराब का चढ़े।

ना नशा उसका चढ़ाया टूटे।


तेरी आंखो के समंदर में इस कदर फशे है।

ना ही निकल पाए। ना ही हम डूबे।


यूं तो रोशन हो उठता है। एक चिराग से भी कूचा हमारा। 

अगर वो चांद आए तो जगमगा जमाना उठे।


रात को पीते है। सुबह उतर जाती है। 

एक जाम उसकी आंखो से मिले तो नशा उमर भर ना टूटे।


हमे हमेशा से लगता था की चांद खूबसूरत है। 

तुम मिलो इस चांद से तो इसका गुमां टूटे।


बदनाम नाम है शराब का। इससे बुरा नशा है आपका।

जो चढ़े एक बार और तै-उमर ना टूटे।


इस बेरुखी का मतलब क्या है। तुम्हे इश्क है या नहीं।

तुम पलकों को ही झुका दो। तो हमारा भ्रम टूटा।



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