गम मिटाने को शराब साथ रखता हु।
गम मिटाने को शराब साथ रखता हु।
मैं अपने
साथ हर आदत खराब रखता हु।
तुम भूल
गए। मैं याद रखता हु।
मैं अपने
पल पल का हिसाब रखता हु।
जितने
आंसू की वजह आप हो लुटाऊंगा सूत समेत।
ना मैं
किसी का उधार रखता हु।
दर्द, जख्म, तन्हाई, वक्त, ये कुछ दोस्त साथ रखता हु।
मैं झूठा
हूं थोड़ा बहोत। पर किरदार सच्चा रखता हु।
तुम थे
किसी के साथ हमारे होते भी। तुम थे ख्यालों में किसी और के साथ हमारे सोते भी। तुमने जागना सीखा दिया। अब
आंखें खुली रखता हु।
एक दिल था
उसको भी पथर बना दिया। हमारे अपनों ने हमे बेगाना बना दिया।
अब फर्क नही
पड़ता मैं बना खुदा को अपना रखता हु।
एक तू ही था
जो हमको भाया था। पर एक तू ही नही जिसने हमको रुलया था।
मुझे रुलाता
है हर वो शक्स मैं जिसको अजीज रखता हु।
पहले आप शर्मा
जाते थे जब हम छूते थे आपको। अब हम इस्स पानी को भी छूये तो दूर भागता है हमसे। ये
दरख्त भी मूह बनाते है जब इनकी छाओ मे सर रखता हु।
मैं सीखता रहता
हु जो कुछ सीख सकता हु।
मैं भी शायरो
की तरह हाथ मे कापी ओर जेब मे कलम रखता हु।
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