क्यों कहे। हम तुमको अपना क्यो कहे। तुम ही तो करते हो बुरा संग हमारे। हम तुम को अच्छा क्यों कहे।
ये दरिया, ये झीले, ये समुन्दर, ये किनारा, ये आसमा, ये सितारा। हम तुमको इन्सा क्यों कहे। तुम लगते हो इनसे हम तुमसे ये झूठ क्यों कहे।
तुम्हे जिस्म प्यारा। ये शौंक कैसा। हमे खुदा प्यारा। तो खौफ कैसा। तुम्हारी लकीरे भरी है खुशियों से। हमारे हाथ नहीं तो हम जिन्दगी को बुरा क्यों कहे।
हमको खजाना नहीं। हमको तु चाहिये था। क्या करना मुझे इस जिस्म की बोतल का । हमे तो एहसास तेरा चाहिये था। एक तेरे मोहब्बत ना निभाने के कारण। हम मोहब्बत को बुरा क्यों कहे।
लाखों दफा ठुकराया जिस दर ने हमे। उसी दर पर बैठ जाते है हर बार। भुलाना चाहते है तूमको हम। पर हमने भुलना है तुमको ये ही भूल जाते है हर बार। क्या करे मजबूर है आदत से। हम दिल को बुरा क्यों कहे।
तुम बैठे हो सोच में हमारे। हम तुमको उठाए क्यो। हम चाहेंगे आपको ही। हम तुमको भुलाए क्यों। तुम्हारा एहसास है जिंदा हम में। हम उसे दफनाए क्यों। ये नसीब है हमारा तुम साथ हमारे नहीं। हम तुमको बुरा क्यों कहे।
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