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हम लापता है इस दुनिया के लिए।
फर्क इतना है तुम्हारे और हमारे दरमीय। की हम जिन्हे कांटे लगते हैं तुम उनको फूल लगते हो। हम लापता है इस दुनिया के लिए। और तुम अखबारों में बिकते हो।
हस्ती हमारी इतनी है की हमारे घर के इलावा हमे जानने वाला खुदा है। हम इस दुनिया के लिए और हमारे खयाल हमारे लिए गुमशुदा है। चिरागों की तरह भुझा देगी कोई आंधी हमे भी। और तुम चांद को पाने की बाते करते हो। फर्क इतना है तुम्हारे और हमारे दरमीय। की हम जिन्हे कांटे लगते हैं तुम उनको फूल लगते हो।
हमारे पास से ये हवाएं ना गुजरे ना। ये खुशियां कैसे गुजर सकती है। हम नीच, बचलन, बतमीज है है जनाब। हमारी जून कैसे सुधर सकती है। राख हुए पड़े है हम तो। हमे बिखरना ही बिखरना है। तुम तो खुदा हो तुम क्यो अपनी सलामती की दुआ करते हो। फर्क इतना है तुम्हारे और हमारे दरमीय। की हम जिन्हे कांटे लगते हैं तुम उनको फूल लगते हो।
ये चांद, तारे, फलक और ज़मीन हमारे लिए कहा बन थे। हम मरने के लिए ही बने थे। हम जीने के लिए कहा बने थे। हमे जिए इस दुनिया में या मरे किसी को फर्क नहीं पड़ेगा। तुम तो जिंदगी बने बैठे हो दुनियां की। तुम क्यों मरने की बाते करते हो। फर्क इतना है तुम्हारे और हमारे दरमीय। की हम जिन्हे कांटे लगते हैं तुम उनको फूल लगते हो।
ये बलखाना, इतराना, शरमाना हमारी किस्मत में कहा। चिलाना, घबराना, तड़पना है किस्मत में हमारी। इश्क, मोहब्बत,प्यार, हमारी किस्मत में कहा। ये दर्द, अश्क, अंशु है किस्मत में हमारी। हम बने है कारण चिन्ता का इस दुनियां के लिए। पर तुम तो खुशी हो तुम क्यो डरते हो। फर्क इतना है तुम्हारे और हमारे दरमीय। की हम जिन्हे कांटे लगते हैं तुम उनको फूल लगते हो।
Sher:-
अर्ज किया है की। हमारी बंजर पड़ी जिन्दगी को पानी ना मिले और हम शराब पर शराब पिए जा रहे है। किस काम की शायरी हमारी। जब हम खुद को ही नहीं लिख पा रहे है। चलो छोड़ो। अलविदा हम जा रहे है। अब ना मिलना नसीब में हो यारो। हम कबर में सोने जा रहे है।
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WRRITTEN BY:- KESHAV SHARMA
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