अभी अभी कुछ ऐसा हुआ। जिसकी खबर ना थी हमे। दिल ने मेरे मुझको कहा। मुझे जीना है बिन तेरे। कैसे कोई रह सकता है भला सांसों को बिन भरे।
ये पल आयेगा हमारी जिंदगी में पहले पता होता तो कभी प्यार नहीं करते। करते प्यार मगर कभी आपसे ने ना करते। क्या करूं इन आंखों का जो बेचैन रहती है। इने आए ना चैन बिन तेरे।
ये राते चुबन हो गई है। हमारे लिए। ये सांसे बदल आहों में गई है हमारे लिए। ये दुआए बदल बददुआ में गई है हमारे लिए। क्या करूं इन रातों का जागी रहती है। इने आए ना नींद बिन तेरे।
डर लगता था तुम्हे खोने से। अब तो डर से भी डर नहीं लगता। घर लगता था जो अपना। वो घर भी घर नहीं लगता। लगा था ये दिल तेरे शहर तेरे में। अब तो जन्नत में भी नहीं लगता। क्या करूं इस दिल क्या जिसे तू ही भाये। कुछ भी भाऐ ना बिन तेरे।
चिराग जलाया था रोशनी के लिए। ये ही हमे अंधेरों में डाल गया। हमारा चांद ही हमारा जिस्म को जला गया। जिसको सोचा था अमृत की लहर हमने। वो ही पिला हमे जहर गया। क्या करू इन कदमों का जो रुक गए एक जगह पर। ये चले ना एक भी कदम बिन तेरे।
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WRRITTEN BY:- KESHAV SHARMA
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