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हम तबसे घर नही गए Ham Tabse Apne Ghar Nhi Gye Hindi Poetry

"जब से मिला तू हम रोना भूल गए। आप चाह कर भी इन लबों से हसी नही जाती। अब जितनी रातें गुजरे संग तेरे गुजरे अकेले अब हमे नींद नहीं आती।"





हम तब से अपने घर नही गए। script>

तेरे संग चलने के बाद। हम कभी अकेले सफर में नहीं गए। जब से मिली हमे तेरी बाहों की पन्हा। हम तब से अपने घर नही गए।


इन हवाओं में तेरी खुशबू बहकर मेरे पास आए तो मजा आए। तेरी यादें मुझे रुलाए तो मजा आए। तुझे सोचने में मेरा पल पल जाए तो मजा आए। मेरे वो हर दम बेकार है जो तेरी इबादत में नहीं गए। तेरे संग चलने के बाद। हम कभी अकेले सफर में नहीं गए। जब से मिली हमे तेरी बाहों की पन्हा। हम तब से अपने घर नही गए।



मेरे आसमा की जमीं तू है। मेरी जिंदगी की हर कमी तू है। मेरे आंखो की नमी तू है। जिस राह पर चलना है हमे उसकी मंजिल तू है। हम फकत मर ही जाए। जब इस दिल को तू याद नहीं रहे। तेरे संग चलने के बाद। हम कभी अकेले सफर में नहीं गए। जब से मिली हमे तेरी बाहों की पन्हा। हम तब से अपने घर नही गए।


जन्नत की तलाश में हमने आपको पा लिया। आपको पा कर हमने अपना सब कुछ गवा लिया। अब बना लिया तुझको बस अपना हमने और सबको ठूकरा दिया। अब रहना है बस संग तेरे बेशक हम हमारे ही नहीं रहे। तेरे संग चलने के बाद। हम कभी अकेले सफर में नहीं गए। जब से मिली हमे तेरी बाहों की पन्हा। हम तब से अपने घर नही गए


तेरे दर से मिली हर चीज कबूल है हमे। तू कबूल, तेरे दर्द कबूल है हमे। कबूल है हमे हर उसका साथ जो तुझे पसंद है। जो संग तेरे नही उसका साथ फिजूल है हमे। हमको गवारा ना एक पल भी आपको अलग खुद से करना। अब हम खुद ही खुद के नही रहे। तेरे संग चलने के बाद। हम कभी अकेले सफर में नहीं गए। जब से मिली हमे तेरी बाहों की पन्हा। हम तब से अपने घर नही गए।


लाखो चहरे देखे पर तुमसा ना देखा। हमने देखी लबों पर हसी बहुत पर कोई हस्ता चहेरा तुझसा नहीं देखा। जलता हूं तुझे किसी और से बाते करता देख हमने इंसान खुदगर्ज खुदसा नही देखा। हम बदले तब से जब से हमारे अपने ही अपने नहीं रहे। तेरे संग चलने के बाद। हम कभी अकेले सफर में नहीं गए। जब से मिली हमे तेरी बाहों की पन्हा। हम तब से अपने घर नही गए।


हरकतें इतनी है तेरे एक किरदार में। हमसे लाखो बैठे एक तेरे इंतजार में। कहा कोई इतना पागल होता है प्यार में। जितने हम है आपके प्यार में। इतने बेसबर से रहते है तुझसे मिलने को। की सबर को भी एक बार सबर आ जाए। बस एक हमको नहीं आए। तेरे संग चलने के बाद। हम कभी अकेले सफर में नहीं गए। जब से मिली हमे तेरी बाहों की पन्हा। हम तब से अपने घर नही गए।


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WRRITTEN BY:- KESHAV SHARMA


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