ये दरिया में दरिया सा बनकर तू बहजे। इन हवाओं में बनकर तू खुशबू जो महके। इन फूलों में भी तो कांटे दिखे, तू बंन जाए इनसा तो जुदा हो। तू सावन की बारिश सा बनकर जो मुझ पर बरसे तो क्या हो। तू दर्दों पर मेरे मरहम सा बनकर लगजे जो तो क्या हो।
यहां लाखो है चहरे, है चहेरो पर पहरे, ये पहरे छुपाए बैठे राज गहरे, एक चहरा जो तेरा देखा है हमने, जैसे हुई हमारी सुबह हो। तू सावन की बारिश सा बनकर जो मुझ पर बरसे तो क्या हो। तू दर्दों पर मेरे मरहम सा बनकर लगजे जो तो क्या हो।
जो रास्ते लम्बे है जिनकी ना मंजिल हम उनपर चले जा रहे है। मेरा मरना मुकमल हो जाए, हम तुम पर मरे जा रहे है। बन जाए दुआ तू मेरी, मन्नत तू मेरी, बनजे तू मेरा खुदा हो। तू सावन की बारिश सा बनकर जो मुझ पर बरसे तो क्या हो। तू दर्दों पर मेरे मरहम सा बनकर लगजे जो तो क्या हो।
टुकड़ों की तरह बिखरे हुए थे, जुड़ गए जबसे हमको मिला तू। गम को भुलाकर हसने लगे जबसे हमको मिला तू। अब दूरी ना पल की भी सही जाए तुझसे मुझको बसा ले खुद में बनाके जैसे रूह हो। तू सावन की बारिश सा बनकर जो मुझ पर बरसे तो क्या हो। तू दर्दों पर मेरे मरहम सा बनकर लगजे जो तो क्या हो।
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WRRITTEN BY:- KESHAV SHARMA
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2 Comments
Wa brother kya baat hai
ReplyDeleteThank you bhai ji🙏
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