Header Ads Widget

Ticker

6/recent/ticker-posts

मैं झूठ बडा बोलता हूं

लाखो किरदार है मेरे रंग बदलने में माहिर हूं मैं। कितना बतमीज हूं इस बात से ही पता चलता है की शायर हूं मैं।
दर्द लिख कर बेचता हूं उनके जिनको मै ही दर्दों में घोलता हूं। मैं झूठ बड़ा बोलता हूं।



वाकिफ रहना मुझसे मैं जाख्मो को नमक लगा कर फिरौलता हु। मैं झूठ बड़ा बोलता हूं।

तुमसे प्यार था, है , और हमेशा रहेगा मैं हर हुसन वाले से ये बात बोलता हूं मैं झूठ बड़ा बोलता हूं।

हर बात बेबात होती है मेरी मैं हर बात को बनाकर कर बोलता हूं। मैं झूठ बड़ा बोलता हूं।

हर रात रंगीन है मेरी मैं अपनी नींदें दूसरो के बिस्तर पर खोलता हूं। मैं झूठ बड़ा बोलता हूं।

वफादारी गुनाह है मेरे लिए मैं विश्वास बनाकर हर शक्श से फट से तोड़ता हूं। मैं झूठ बड़ा बोलता हूं।

खैर मांगते है जो दम की वो मेरे गुनाहों से वाकिफ नही। मैं गुनेहगार हूं उन गुनाह का। जिनकी अल्लाह के दरबार में माफी नहीं। जो मांगते है मेरे खैर की दुआ मैं उन्हीं का गला घोटता हूं। मैं झूठ बड़ा बोलता हूं।

खिलाड़ी हूं बहुत बड़ा खेल दिलो के खेलता हूं। खेल कर दिलो से उन्ही बेदर्दी से फेंकता हूं। सेकता हू हर जिस्म की आग को और सेक कर छोड़ता हूं। मैं झूठ बड़ा बोलता हूं।

दफन दिल में बाते बहुत है मेरे। मुझे मिले ना पनहा जनत की इतने गुनाह है मेरे। एक गुनाह दोहराता हूं हर बार। की  मैं दिल दुखा कर तोड़ता हूं। मैं झूठ बड़ा बोलता हूं।

एक गुनाह से भरा हूं। एक शौंक जिस्मों का रखता हु। एक रिस्तों से नफरत है मुझे। मैं अपने साथ हर आदत खराब रखता हु। जो करते हैं विश्वास मुझ पर मैं उनके विश्वास को धोखे से तोड़ता हूं मैं झूठ बड़ा बोलता हूं।

अइयाश अवल दर्जे का हूं शौंक जिस्मों का रखता हु। कुछ को छूता हूं कुछ पर आंखें रखता हूं मैं शुरुआत करके हर किसे की अधूरा ही छोड़ता हूं। मैं झूठ बड़ा बोलता हूं।

लाखो किरदार है मेरे रंग बदलने में माहिर हूं मैं। कितना बतमीज हूं इस बात से ही पता चलता है की शायर हूं मैं।
दर्द लिख कर बेचता हूं उनके जिनको मै ही दर्दों में घोलता हूं। मैं झूठ बड़ा बोलता हूं।

मैं तन्हाई पसंद इंसान हूं भीड़ से पर्दा रखता हु। मैं बनता हु हमसफर जिनका उनको बीच सफर में अकेला छोड़ता हूं। मैं झूठ बड़ा बोलता हूं।

काफी निगाहे रहती है मुझ पर मैं हुसन वालो की आंखो में घूमता हूं। मैं भूलता नही स्वाद उनका जिन जिस्मों को मै चूमता हूं। जो टकराते है लब मेरे लबों से मैं उन लबों पर अपने निशान छोड़ता हूं। मैं झूठ बड़ा बोलता हूं।

मैं हमदर्द नही दर्दों का कारण बनता हु मैं। मैं रिश्ते निभाता नहीं उन्हे राख में रोलता हु मैं। जो साथ चाहते है उमर भर का मैं उन्ही का साथ छोडता हूं। मैं झूठ बड़ा बोलता हूं।

"मैं पत्थर ना था केशव पत्थर बनाया गया मुझे भी। जैसे पेश आता हु अब इस जहान से मैं। कोई ऐसे ही पेश आया मुझसे भी। रोया हूं रातों को मैं भी, जगा हूं रातों को मैं भी। लाखों दर्द छुपाए बैठा दिल में मैं भी। फिर भी "ठीक हु मैं" सबको ये झूठ बोलता हु। कियोकि मैं झूठ बड़ा बोलता हु।"

        THANKS TO READING

WRRITTEN BY:- KESHAV SHARMA


       PLEASE LEAVE COMMENT 

READ THIS:-




Post a Comment

0 Comments