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खुदा खुद मिलने आया मैं ख्वाइशो पर मरता रह गया।

 खुदा खुद मिलने आया मैं ख्वाइशो पर मरता रह गया।


 खुदा खुद मिलने आया मैं ख्वाइशो पर मरता रह गया।

वो चाहता था मैं तेरा तेरा करू पर मैं "मैं मैं" करता रह गया।


हमारा लिखना शौक़ नही मजबूरी है हमारी जाना।

हमने जिनको चाहा वो हमसे दूरी करता रह गया।


हम बैठे जिन्हे कुछ पल को अपने गम सुनाने।

वो हमे छोड़ कर बस घड़ी तकता रह गया।


हमे किसी ने बताया नहीं की खुशी मां बाप में होती है।

मैं बदनसीब उन्हे छोड़ कर तजोरी भरता रह गया।


हमसा इस जहान में आना मुमकिन नहीं जाना।

खुदा तो हमें बनाकर ही पछतावा करता रह गया


मेरा यकीन कर मेरी हमनफस मेरी जाना।

मैं खुद से भी ज्यादा तुझ पर मरता रह गया।


THANKS FOR READING

WRITTEN BY:- KESHAV SHARMA (kanha)



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