"सब तोड़ कर झूठे रिश्ते इस जहान के।हमने तन्हाइयों से रिश्ते जोड़ लिया है।अब याद कुछ ज्यादा आओगे आप हमको कियोकी।हमने शराब पीना छोड़ दिया है।"
छोड़ दिया है हर वो हाथ जिसने खुशियों में थामा हमे और दुखो में तन्हा छोड़ दिया है। चलो छोड़ो हमने यह सोचना ही छोड़ दिया है।
दिन ढले, ये शाम ढले, ढले बेशक ये रात ढले, जो भी ढले बार बार ढले। हमे क्या हमने जब नाता ही अंधेरों से जोड़ लिया है। चलो छोड़ो हमने यह सोचना ही छोड़ दिया है।
"हर एक रूप ने हमे लाखो रूप दिखलाए है। लोग चाहते है जाने की जिस गली हम ठोकर वहा से खाकर आए है। हमने सोचा न जरा भी जिन्हे अपना बनाने में। उन्होंने अपने सब हुनर हम पर आजमाए है। अब घुटने लगा है दम इस फरेबी दुनिया में। हम कल मौत से उसके साथ चलने की बात करके आए है।"
कुछ लोगो को देख हमारे होश उड़ जाते है। जो अपनी मासूमियत खोकर नकाबी दुनिया सा बनना चाहते है। कुछ पल की खुशी को पाने के लिए। रोग उमर भर के लगा जाते है। हाले-ए -जिंदगी को ऐसा बना जाते है। ना अपनो के रहते है ना अपना रह पाते है। हम है खुश अपने इस हाल में हाल लोगो का महसूस करना छोड़ दिया है। चलो छोड़ो हमने यह सोचना ही छोड़ दिया है।
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WRRITTEN BY:- KESHAV SHARMA
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