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हमने तन्हा लिखना चाहा की तुम लिख बैठे।

हमने तन्हा लिखना चाहा की तुम लिख बैठे।

हमने हम लिखना चाहा की तुम लिख बैठे।

हमने जितनी दफा लिखना चाहा कुछ अलग। 

हम हर दफा बस तुम बस तुम लिख बैठे।


तुम्हे चाहना कहा कोई इबादत से कम है।

तुम्हें पाना कहा कोई फरियाद से कम है।

हम खुद को भूल कर आपको याद रखें।

हम इस हद तक खुद को तुम लिख बैठे।


कृष्ण संग प्रेम राधा का है हम तुम संग करे।

मीरा की तरह हम पर बस तुम्हारा रंग चड़े।

सुदामा की तरह हमारी मित्रता का बखान हो।

हम अपने नाम आगे तुम्हारा नाम लिख बैठे।


तुम्हारी चाहत के काबिल ये खुदा हमे बनाएं।

तुम्हारी तरह सबसे जुदा बकमाल हमे बनाएं। 

हमे जितनी दफा बनाने की सोचे खुदा आदम।

हमारा उतनी दफा साथी खुदा तुझे लिख बैठे।


मेरी अजान तू हो तुझे सुना करू मैं।

मेरी आयत तू हो तुझे पड़ा करू मैं।

मेरी दुआ तू हो तुझे किया करू मैं।

हम अपनी हाथो की लकीरों में तुम लिख बैठे।


हमने जितनी दफा तुम्हे देखा हमारी ईद बनी है।

या हम बने है या मीरा हम सी दीवानी बनी हैं

हर सांस के चलने पर आपका नाम ले रहे है।

हम अपनी जीवन की माला पर तुम लिख बैठे।


तुम्हारे जिक्र में रहते है तुम्हारे फिक्र में रहते है।

आज कल हम सबसे दूर तुम्हारे इश्क में रहते है।

तुम्हारे बिना है ही क्या हमारे पास करने को।

हम अपनी जिंदगी का हर मुकाम तुम लिख बैठे।


इश्क इश्क इश्क है हर तरफ हम जिस तरफ देखे।

ये आंखे जितनी दफा देखे बेसबरी से तुम्हे देखे।

ये निगाहें गिर जाती है तुम्हे देख और लब हस्ते है।

हम अपने लबों की मुस्कान को तुम लिख बैठे।


केशव केशव था इस नाम में कुछ खास नहीं था।

तुम्हारे नाम के साथ जुड़ कर अनमोल हो गया।

ता-उम्र ना टूटे ऐसा नशा हमे केशव हो गया।

अब कदम डगमगाए तो सहारे को तुम लिख बैठे।


THANKS FOR READING

WRITTEN BY:- KESHAV SHARMA (kanha)


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