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मेरे साथ क्या हुआ है। मेरे साथ क्या होगा।

  मेरे साथ क्या हुआ है। मेरे साथ क्या होगा।


मेरे साथ क्या हुआ है। मेरे साथ क्या होगा।

मुझ अब का मालूम है पता नही मेरे बाद क्या होगा।


अब का आलम कुछ यूं है खुद को तन्हा पाते है।

खुद से बाते करते है। ख़ुद की सुनते जाते है।

ख़ामोशी साथ रखते है। बस इसको ही चाहते है। 

खुद की बातो पर हस्ते है। खुद को ही रुलाते है।

खुद की बातों पर रूठ जाते है। खुद को मनाते है।

अब तो तन्हा रहते है पता नही इसके बाद क्या होगा।


हमारे साथ वालो को हमारा मशवरा ये होगा।

वो खुद को खो देगा जब जब हमारे पास होगा।

उसको अपना साया भी अजीब लगने लगेगा।

उसका जिस्म जब जब हमारे पास होगा।

कुछ इस तरह बह जाएगा हमारे गम के सागर में।

की जब होश में आयेगा हम जैसा बन गया होगा।


एक शख्स था जिससे मोहबब्त बेइंतहा थी।

वो दिल था हमारा उसी के साथ जिंदगी थी।

उसी को पूजते थे उसी के लिए हमारी हर दुआ थी।

उसी पर भरोसा था हमे। उसी में हमारी दुनियां थी।

उसी ने छोड़ा है हमे। छोड़ा मगर दिल दुखा कर छोड़ा है हमे। 

अब भी मोहबब्त उसी को करते है। 

उसी के लिए जीते थे अब उसी के लिए मरते है।

अब मरने को दिल करता है हमसे ना अब जीना होगा।


THANKS FOR READING

WRITTEN BY:- KESHAV SHARMA (kanha)

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