मेरा खुद को लिखना मुस्किल है पर लिखने जा रहा हु।
मैने बहुत धोखे दिए और देते जा रहा हु।
मेरा खुद को लिखना मुस्किल है पर लिखने जा रहा हु।
मैं वो शक्स हु जिसने जिसको चाहा उसी से दगा की।
और यह सिलसिला बरकरार रखते जा रहा हु।
मैं वो नीच हूं जिसे जिंदगी ने बहुत मौके दिए सुधरने के।
और मैं हु की हर मौके को ठुकराते जा रहा हु।
हम इश्क जिस्म को समझते है और इसे ही चाहते है बेपम्हा।
और जिस्मों की आग में मैं खुद को ही जलता का रहा हु।
मैं होश में हु मुझे बेहोश समझने की कोशिश न कीजियेगा।
मैं वो अपराधी हु जो समझ कर अपराध करते जा रहा हु
हमने हर नशे को हाथ से छुआ है और लबों से स्वाद लिया।
और अब जिस्मों के नशे में डूबता जा रहा हु।
मैं कमखत ऐसा हु जिसने दोस्ती में दगा कमाई है।
और अभी भी हर पल कमाते जा रहा हु।
मैने अपनी समझ को मार लिया है इस कदर केशव।
अब दिमाग की जगह हवस से सोचे जा रहा हु।
मैं इश्क का इ ना जानू मैं सब जानू पर दिल को दिल ना जानू।
दिल को जो दिल जानू तो क्यों इन्हे तोड़ता जा रहा हु।
मैं नरम दिल इंसान हु हां मैं नरम दिल इंसान हु।
मैं नाटकबाज हु और अपना रोल अदा करता जा रहा हु।
इन आंखो से अच्छा ना देखेयो कदे मैं सिर्फ गंद ही देख्यो।
और हर दिन हर पहर गंद ही देखता जा रहा हु।
अगर उतर जाए अपनो का कर्ज हम मरना चाहेंगे।
अब तो जीने से घबराता बहुत घबराता जा रहा हु।
मेरी मौत मुमकिन है आयेगे जरूरी है मालूम हमे।
पर कब आयेगी ये सोचता जा रहा हु।
THANKS FOR READING
WRITTEN BY:- KESHAV SHARMA (kanha)
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