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राधे राधे

राधे  राधे


मेरा नाम कान्हा पर मैं उनसा नहीं राधे।

वो पाक पवित्र मैं तुछ मानस सा राधे।


उन्होंने प्रेम सिखाया इस जग को।

हम सिखाएंगे तो क्या सिखाएंगे राधे ।


उन्होंने सब को मनमोहित किया ।

हमें करने की सोचे तो ना करपायेंगे राधे।


वो प्रेम का समुद्र थे उनके बारे क्या कहे।

मैं तो एक साफ और पवित्र कतरा भी नहीं राधे।


उनकी मधुर वाणी कानो को लुभाती थी।

हमारी धवनी तो एक बेसुरा राग समझो राधे।


वो सबके मन के मोहन और कान्हा है।

हम किसी को मन को भाए वो भी ना हो सका राधे।


उन्होंने दोस्ती ,प्रेम , और धर्म को समझाया।

हमने जो समझा उसे भी किसी को समझा ना पाए राधे।


उन्हे जिस्म से दूर रूह के इश्क को संबोधित किया।

हमने तो इश्क क्या उसका "इ" भी नहीं कर पाए राधे।


उन्हे दिल में पन्हा मिलती है कान्हा कान्हा होती है।

हमे कोई जानें वो ही एक बड़ी बात हो जाएं राधे।


वो तो इश्क का गागर थे को झलके तो इश्क महके।

हम तो इश्क करे तो उसे बदनाम कर जाए राधे।


केशव नाम मिला हमे पर गुण उनसे ना मिले।

हमे रंग उनसा मिला पर उसको निखार न पाए राधे।


बस एक चीज उनसी कर लेते है और करते रहेंगे।

उनकी जुबा पर भी और हमारी जुबा पर रहता है राधे राधे।


THANKS FOR READING

WRITTEN BY:- KESHAV SHARMA (kanha)


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