मैं फिर से
मैं फिर से किसी की तलाश में चल दिया।
मैं फिर से मौत का समान लेने चल दिया।
मैं फिर से चोट खाऊंगा।
मैं फिर से अश्क बहाऊंगा।
मैं फिर से भूल जाऊंगा खुद को।
मैं फिर से किसी में खो जाऊंगा।
मैं फिर से तबाह करूंगा ख़ुद को।
मैं फिर से दिल को खाक बनाऊंगा।
मैं फिर से तुझे पाने की चाहत रखूंगा।
मैं फिर से तेरे आगे हार जाऊंगा।
मैं फिर से तेरी बातों को सच्चा कहूंगा।
मैं फिर से अपनी आंखो को झूठ लाऊंगा।
मैं फिर से इन्तजार में बैठूंगा तेरे।
मैं फिर दोष वख्त पर लगाऊंगा।
मैं फिर से वफा करूंगा तुझसे।
मैं फिर से दागा कमाऊंगा।
मैं फिर से खरीदूंगा तबाही का समान।
मैं फिर से मे:हखाना सजाऊंगा।
मैं फिर से रोकना चाहूंगा तुझे।
मैं फिर से तुझे खो जाऊंगा।
मैं फिर से तलाश में रहूंगा तेरी।
मैं फिर से खुद को तन्हा पाऊंगा।
मैं फिर से केशव बस कर उजड़ जाऊंगा।
मैं फिर से केशव उजड़ कर बसना चाहूंगा।
मैं फिर से ये सिलसिला दोहराऊंगा।
मैं फिर से समय की चोट खाऊंगा।
मैं फिर से किसी की तलाश में चल दिया।
मैं फिर से मौत का समान लेने चल दिया।
THANKS FOR READING
WRITTEN BY:- KESHAV SHARMA (kanha)
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