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Zindgi Toh Maut Se Bahtar Guzar Rahi Hai

Hindi Poetry



जिंदगी तो मौत से बहतर गुजर रही है 


जिंदगी तो मौत से बहतर गुजर रही है 

पता नहीं ये मौत कैसी होगी। 

वो कुछ अलग होगी या वो भी तेरे जैसी होगी।


मालूम है की आएगी एक दिन। 

वो वक्त की पाबंद होगी या वो भी तेरे जैसी होगी।


गमों को जुदा करेगी या और देगी मुझे।

रहम करेगी मुझ पर या बेरहम तेरे जैसी होगी।


दर्दों का सिलसिला खत्म होगा इसके बाद भी।

या इससे भी उम्मीद मुझे तेरे जैसी होगी।


माना बाद इसके जल कर खाक हो जाऊंगा मैं।

आंच इसकी ठंडी होगी या इश्क तेरे जैसी होगी।


खुशियों की बौछार से नवाजेगी मुझे केशव।

या पीड की लहर में डूबी मछली जैसी होगी।


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