Header Ads Widget

Ticker

6/recent/ticker-posts

Shab-O-Sahar Sharab Ka Shawab Liya Hai Kabhi.

Sad Poetry


शब -ओ -सहर शराब का स्वाद लिया है कभी


शब -ओ -सहर शराब का स्वाद लिया है कभी।

तुमने इसे बुरा कैसे कहा तुमने इसे पिया है कभी।


ये रात का आलम क्या कहर ढाता है हम पर।

तुम्हे कैसे मालुम होगा तुमने प्यार किया है कभी।


दुनियां से बात करने का हुनर सब रखते है दोस्त।

कभी खुद से बात की खुद को आबाद किया है कभी।


तुम्हारे बाद मैं खुश रह सकूं कुछ तो ऐसा करते।

हमने किया खुद को बर्बाद क्या तुमने किया है कभी।


किस हद तक रूठे बैठे है खुद से भी हम।

तुमने भी इस हद तक खुद को नाराज किया है कभी।


तुम छोड़ आए शहर हमारा पल ना सोचा तुमने।

हम सोचते है तुमने सोचने का गुनाह किया है कभी।


हम पी रहें है जहर हर रोज इन जामो में भर कर।

क्या तुम्हे भी गमों में गोलकर अंशु को पिया है कभी।


THANKS FOR READING

WRITTEN BY:- KESHAV SHARMA (kanha)

Post a Comment

0 Comments