ना जाने किस फिराक में ये दिल रहता है।
ना जाने किस फिराक में ये दिल रहता है।
मैं हूं कौन खुद से ही ये दिल कहता है।
किस शहर किस गांव में है ठिकाना हमारा।
मैं हु उसी गली। जिस गली तू रहता है।
मैं उस ख्वाब को हासिल करने की सोच आया।
जिसको हासिल करना भी ख्वाब ही रहता है।
छीन लो हमारी ज़िन्दगी की बाकी बची रातें।
इन रातों में हमे गुनाह होने का डर रहता है।
एक सोच कैसे बुरा कर देती है एक शक्श को।
हमसे पूछो जिसकी सोच में हर वक्त डर रहता है।
तुम्हारी बात और थी तुम आसानी से भूल जाते हो।
हमारी बातों में अभी भी आपका जीकर रहता है।
एक जिस्म की भूख से तमना लावो सी फटती है।
हर तमन्ना पर प्यार एक उमर सा रहता है।
इश्क हो तो इस जिस्म और मिट्टी जैसा हो केशव।
मिट्टी होकर आता है और मिट्टी होकर रहता है।
जिस सच्चे इश्क की तलाश में तुम रहता हो।
वो चाहो तो पास ना चाहो तो तुमसे दूर रहता है।
इस हद की कोई हद ना है ना कभी होगी।
हमे हमेशा की तरह तुमसे प्यार बेहद रहता है
दर्द -ए - ज़िन्दगी बताए तो किसको बताए।
यहां जो भी है हमसे गैर की तरह रहता है।
तुम ही हकीकत हो तुम ख्वाब हो किसकी का।
हमारा नाम बिन मांगी मुरादो में रहता है।
जिस हद से गुजर कर तू दुखी नहीं है केशव।
उस हद के बाद शक्श मौत का होकर रहता है।
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