था कौन गलत। थीं किसकी गलती। बताना है मुस्किल।
था कौन गलत। थीं किसकी गलती। बताना है मुस्किल।
सब होगा ठीक कहना है आसान। ठीक होना है मुस्किल।
मैं जिन खिले रिश्तों को कर आया हु रुसवा।
उनका मुरझाना है आसान। उनका खिलना है मुस्किल।
वो रात, वो बात, वो गुनाह, वो जज्बात मेरे।
करते लगे थे आसान। बताते लगे है मुस्किल।
इस फिराक -ए -जिन्दगी का तसुवर ये हैं की।
इसे तबाह करना है आसान। बिताना है मुस्किल।
मुझे इश्क़ भी हुआ है कभी या जिस्म की सोगाद है।
ये सोच पाना है आसान। बता पाना है मुस्किल।
किन इरादो से रिस्ते बनाए है मेने दुनिया से।
इन्हें सोच पाना है आसान। बता पाना है मुस्किल।
अब इस कुर्बत से भरी रात की सुबह होगी कैसे।
इसका सोच पाना है आसान। बता पाना है मुस्किल।
किस वक्त कोई आए तुम्हे ले जाए तुम्हारे दर से।
तुम्हरा देख पाना है आसान। रोक पाना है मुस्किल।
किस बात को कोई दिल से लगा ले सोच लो।
सोच पाना है आसान। फिर रोक पाना है मुस्किल।
किस मेहकशी से कोई जाम छलक बैठे ख़बर नहीं।
सोच कर पीना है आसान। इसका उतरना है मुस्किल।
क्या ख़बर किस शबर रात छीन ले तुम्हे सुबह से।
काम करके सोना है आसान। फिर कर पाना है मुस्किल।
तुम्हारी शोहरत -ए - आदम कभी कभी खत्म ना हो।
ये सोच पाना है आसान। इसका हो पाना है मुस्किल।
जो आया है इस जहां वो जायेगा जरूर समझ लिजिए।
कियोकी दिल दुखाना है आसान। सजा निभाना है मुस्किल।
तू किस हैरत-ए-नज़र को रो-कर दिखा रहा है केशव।
यहां किसी को रुलाना है आसान। सोच पाना है मुस्किल।
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