क्या बरसात हुईं हमारे दर।
क्या बरसात हुईं हमारे दर।
दुख ही दुख बिखरे हमारे घर।
दगेबाज निकले एक हद तक हम।
धोखेबाज निकले तुम भी बेहद।
खत्म कर दू इस जिन्दगी को अगर।
ये सांसे रुक जाए कहे हमारे पर।
रिश्ते बना लिए थे किसी ने सोचने पर।
तभी दुख ना लगा उनके टूटने पर।
जिनकी तबीयत रोशन होती थी देखे हमारे।
फिर क्यों वो जला ना सके दीप रिश्ते का बुझने पर।
एक पल में भी जिंदगी उजड़ जाती है।
आज देखा जिंदगी उजड़ने पर।
हमने जिन गुलाबो को सींचा प्यार से।
आज दर्द हुआ उनके दिल में चुबने पर।
कैसे एक गलती रिश्ते को उजाड़ देती है।
आज देखा दूध के फटने पर।
कुछ ऐसे जुर्म की सजा मिली केशव।
जो हुआ अनजाने में अफसोस रहेगा जिन्दगी भर।
सोचा था सहारे मिल गए हमे जिंदगी के लिए।
आज टूटा भरम हमारा गिरने पर।
कोई पल मार देता है जीते जी किसी को।
आज देखा हमारे खुद पर गुजरने पर।
तकलीफो से गुजर रहे थे पहले भी।
की घाव और लगा बैठे घावो पर।
कोई चोट जिस्म पर लगती तो मरहम कर लेते।
केशव ये चोट दिल की है जो भरेगी ना मरने पर।
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