मैं खुद को पढ़ लेता तो अच्छा होता।
मैं खुद को पढ़ लेता तो अच्छा होता।
ये नादान दिल लिपटा है जिस गमों की चादर में।
मैं उसको जला लेता तो अच्छा होता।
उस रात वो बात करने और हद से गुजरने से पहले।
मैं कुछ देर सोच लेता तो अच्छा होता।
जिस्म से हटकर भी मोहब्बत के कुछ मायने होते है।
मैं ये बात पढ़ लेता तो अच्छा होता।
मेरे खयालों की जो धूल उठी उसमे मेरी जिन्दगी बिखरी।
मैं उसे समेट लेता तो अच्छा होता।
मैं जिन्हे अपना कहता था उन्हें रुलाने में मेरा हाथ है।
मैं उनसे दूर रह लेता तो अच्छा होता।
तुम्हारी नज़र को गलत कहूं ऐसा मैं कहा मेरे दोस्त।
मैं अपनी नजर सुधार लेता तो अच्छा होता।
मैं जिस दरिया में डूबा आया सब रिश्ते अपने।
मैं उसमे खुद को डूबा लेता तो अच्छा होता।
उस रात के बाद मेरा हर दिन भी अंधेरों सा है मैं वो रात।
जल्दी सो कर गुजार लेता तो अच्छा होता।
वो अच्छे है, बहुत अच्छे है, बेहद अच्छे है। मैं खुद को
उनसा बना लेता तो अच्छा होता।
हवस जब हद से गुज़र जाए तो हैवानियत होती है केशव।
तू खुद को समझा लेता तो अच्छा होता।
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