हर दिन जाना पड़ता है
हर दिन जाना पड़ता है। तबियत खराब हो फिर भी जाना पड़ता है। मौसम कोई भी जाना पड़ता है। हमे हर रोज़ के गुजारे के लिए हर रोज कमाना पड़ता है।
जागना बहुत दूर की बात। दौड़ ख्वाबों में भी जारी रहती है हमारी। आज क्या करना है। कल क्या होगा। पहले से तयारी रहती है हमारी। बेचकर अपने ख्वाबों को हमे समान लाना पड़ता है। हमे हर रोज़ के गुजारे के लिए हर रोज कमाना पड़ता है।
अंशु कोन देखता है यहां। गम कोन देखता है यहां। मतलब अपने कामों से है इनको। काम आपके कोन देखता है यहां। हम अकेले नही आए घर से। साथ मजबूरियां भी आई है इसका पता उनको कहा चलता है। हमे हर रोज़ के गुजारे के लिए हर रोज कमाना पड़ता है
कब क्या होगा हमारी जिंदगी का। उस खुदा को पता। हमारी जिंदगी की मलकियत हमारे नाम तो नहीं। है किसके नाम उस खुदा को पता। कहा से वक्त निकले खुशियों के लिए। हमे कुछ वक्त रोटी खाने के लिए भी निकालना पड़ता है। हमे हर रोज़ के गुजारे के लिए हर रोज कमाना पड़ता है।
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WRRITTEN BY:- KESHAV SHARMA
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