हमने अपने चहरे पर लिखवा लिया हमको छुना मना है।
तुम जबसे आए मेरी जिंदगी में खुशी बनकर। हमने अपने घर के बाहर लिखवा लिया यहां रोना मना है। छुआ तुमने है जबसे हमे। हमने अपने चहरे पर लिखवा लिया हमको छुना मना है।
ये दिवारे मुझसे कहती है। ये तेरा होना चाहती है। इन खिड़कियों को भी सवाल है तेरा इनके बारे क्या खयाल है। ये सुन बैठे तुझको जबसे। तबसे यहां कोयल का गुनगुनाना मना है। हमने अपने चहरे पर लिखवा लिया हमको छुना मना है।
दिल दर्द बेचारा है इसे भी दिल से निकाला है। इसका जो ठिकाना था वो अबसे तुम्हारा है। खवाबो की कस्ती का बस तू ही किनारा है। हमने अपने ख्वाबों का समुंदर नाम तेरे लिख डाला है। अब इन ख्वाबों में किसी और का आना मना है। हमने अपने चहरे पर लिखवा लिया हमको छुना मना है।
लाख हिदायते देते है पर ये रात मनमानी करती है। ये बाहें शिकायत करती है ये सुबह क्यो चढ़ती है। इस जिस्म को भी बगावत है की तेरी खुशबू यहां क्या करती है। मिली रातों की चेतावनी हमे। की तुम्हारा सोना मना है। हमने अपने चहरे पर लिखवा लिया हमको छुना मना है।
इस जुबान की शिकायत है तुम किस किस क्या क्या कहते हो। तुमको फुरसत कैसे उनसे। तुम नाम क्यूं नही लेते हो।दुनिया को लेना हो तुमसे। पर तुम दुनिया से क्या लेते हो। अगर करनी हो अजमाइश मेरी। सिर्फ उनके लिए करना। इस दुनिया के लिए करना बिलकुल मना है। हमने अपने चहरे पर लिखवा लिया हमे छुना मना है।
इन बाहों की ख्वाइश है बस तेरे लिए खुले। इन कदमों की ख्वाइश है संग तेरे ही चले। इन लबों की ख्वाइश है बातें तेरी ही करें। इस दिल बस ख्वाइश है तेरे लिए धड़के। इनको रहना बनके तेरा। बन ना गैरों का मना है। हमने अपने चहरे पर लिखवा लिया हमको छुना मना है।
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WRRITTEN BY:- KESHAV SHARMA
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