Header Ads Widget

Ticker

6/recent/ticker-posts

कैसे हो सकता है




कैसे हो सकता है


कैसे हो सकता है। दिल को पत्थर से प्यार कैसे हो सकता है। एक बार सही हर बार कैसे हो सकता है। तडपे किसी के दीदार को आंखें हर पल। कोई पत्थर खुदा कैसे हो सकता है। 


हर तालीम झूठी पड़ गई मेरी। हर समझदारी बेकुफी बन गई मेरी। संभलना भूल गए जबसे मिले तुझसे। कोई इतना फरेब-ए-यार कैसे हो सकता है। 


रहे हर वक्त खयाल उसी का। सताए हर वक्त खयाल उसी का। रुलाए हर वक्त खयाल उसी का। ये वक्त भी गुलाम किसी का कैसे हो सकता है। 


साथ रहना। साथ निभाना। अपना कहना। फिर उनको रुलाना। सच्चा बनकर। झूठ की बारिश बरसाना। हर पल एक नया गुनाह करना। कोई इतना बड़ा गुनेहगार कैसे हो सकता है। 


आपको देख कर नशा सा चढ़ने लगा था। जिसके सामने नशा शराब का भी कम लगने लगा था। कदमों का संभलना तो बात दूर की हमारा वक्त भी डगमगाने लगे था। किसी इंसान में इतना नसा कैसे हो सकता है।


रोकर कितनी रातें काटी। जागकर कितनी रातें काटी। हमे है अपनी हर रात का हिसाब। पर समझ नही आता कोई किसी की निंदे हराम करके कैसे सो सकता है। 


        THANKS TO READING


WRRITTEN BY:- KESHAV SHARMA



       PLEASE LEAVE COMMENT 


READ THIS:-

https://keshavsharma16.blogspot.com/2021/07/abke-aayoge-toh-jaana-na.html

https://keshavsharma16.blogspot.com/2021/07/bhatke-hue-musafir-kya-rasta-dikhayenge.html

https://keshavsharma16.blogspot.com/2021/07/blog-post_6.html

https://keshavsharma16.blogspot.com/2021/07/blog-post_6.html



Post a Comment

0 Comments