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मैं बंजारा मेरा घर कहा Main Banjara Mera Ghar Kaha Hindi Poetry

"हमसे मिलने की राह में सौ दर्द मिलेंगे। जो चाहे हमसे मिलना कोई उसे हम यार के दिल में मिलेंगे।"


गुमशुदा सा फिरता हूं इस दुनिया की भीड़ में कोई मिला दे मुझे मुझसे। ऐसा कोई कहां। मैं बंजारा मेरा घर कहां।

कभी इस गली कभी उस गली फुरसत को भी हो फुरसत हमारे कदमों को फुरसत कहां। मैं बंजारा मेरा घर कहां।

एक तू नही था किस्मत में एक मिला नहीं सकून यहां। रोता रहा सामने अपनो के कोई चुप कराए ऐसा कहां। मैं बंजारा मेरा घर कहां।

चहरे पर मुस्कुराहट दिल में गम लिए चलते है। जो बांट ले हमारे गम मिले कोई हमदम यहां। मैं बंजारा मेरा घर कहां।

कुछ राख है कुछ धूल है यहां खुदा बिना सब फिजूल है। यहां इश्क है बस जिस्म से करे रूह से प्यार ऐसा कहां। मैं बंजारा मेरा घर कहां।

मिले धूप से ठंडक मुझे ये रात डराती मुझे। इस बारिश में भी बस शोर है। तेरी यादें भीगाती है मुझे। कोई मिटा सके मेरी खामोशियों को मिला मुझे कोई कहां। मैं बंजारा मेरा घर कहां।

"चलता हु तेरी यादों की बेड़ी अपने पांव में लिए।
चलता हु कुछ अरमानों को दिल की नाव में लिए।
चलता हु की मिलेगा सकून एक दिन हमे। चलता हु इस ज़िंदगी - ए - शमसान को लिए।"

"अब फकत तू चाह कर भी हमे कभी याद न करना। सब कुछ करना यारा पर कभी किसी प्यार ना करना हमारी तरह किसी की जिंदगी बर्बाद ना करना। बन न खुदा किसी का पर खुदा बन कर उसकी जिंदगी तबाह ना करना।"

           THANKS TO READING

WRRITTEN BY:- KESHAV SHARMA


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