"लड़की औरत मां बहन बेटी बहु की अगर कोई कहानी लिखता। बस दर्द ही दर्द लिखता।की कैसे सो जाती है मां अपने बच्चे को सूखे में सुआ कर खुद गीले में। वो लिखता भी तो कैसे लिखता।"
"बहुत अंशु बहाए। बड़े हाथ पैर चलाए।
पर जिस्म जी भर के नोचा दरिंदो ने।
इंसान चैन से सो गया बलतकार देख कर।
उस रात दाना नही खाया परिंदो ने।"
हैवानियत आज एक मुकाम हासिल कर बैठी है।
कभी इंसान के अंदर होती थी ये आज सिर चढ़ बैठी है।
अब रिश्ते नही दिखते बस जिस्म दिखता है। इससे क्या फर्क पड़ता है वो बहु है या बेटी है।
आज हवस की उमर नही रही। जिस्म पांच साल की लड़की का भी नोचा गया। अगर सोच सकता है इंसान। तो ये जुर्म करने से पहले क्यों नहीं सोचा गया। सुन कर मरने को दिल करता है। जब सुना की पच्चीस लोगो के द्वारा एक लड़की को नोचा गया। गेर दिया उसे सड़क किनारे। बता खुदा इस इंसान द्वारा तब क्यों नही सोचा गया।
एक तजुरबे की बात है की बेटी अपनी हो तो वो बेटी है। अगर दूसरो की तो आप उस पर नजरे गंदी डाल सकते हो। अगर बात अपने घर की है तो छुपाना जरूरी है। अगर घर दूसरे की हो तो उछल सकते हो। पाल सकते हो आप कुत्ते अपने घरों में। पर आप गलती से बेटी नहीं पाल सकते हो।
बलात्कार पहले ये बस एक लफ्ज था। आजकल ये करना भी आम हो गया है। जिन्होंने ने किया उन्हे सजा मिली पता नही। पर उनका बड़ा नाम हो गया है। कुछ अच्छे लोगो ने उठाई आवाज इसके खिलाफ। जलाई मोंमबतीय भी उनकी याद में। पर वो उस लडकी के घर में उजाला ना कर पाए। कुछ रहे चैन से अपने घरों में कियोकि जनाब अपना क्या गया है।
लड़की किसी वक्त इजत होती थी लोगो की। आजकल उसकी जगह पैसे ने ली है। तभी तो बेटी को पराए घर भेज कर। पैसे को जगह ताजोरी में दी है। उसने क्या सोचा होगा जिसने जन्म ही इस दुनिया में पराए होने को लिया है। कभी पूछना अपनी मां से की उसने किसी पल चैन की सांस ली है। हमारी सोच तो देखो जिसे सोच कर सोच को भी सोचना पड़ जाए। बुरा कहते है तवायफ को हम इस दुनिया के सामने। और छुप छुप कर हमे उसे देखने में मजा आए। ना जी ना बात अपने गलत की है। प्लू उनका गिरा है सोच हमारी नही गिरी है।
लड़की जिसे हम मां के रूप में भी देखते है। बहन के रूप में भी देखते है बहु के रूप में भी देखते है बेटी के रूप में भी देखते है। देवियों के रूप में भी देखते है। और जरूरत से भी जरूरी बात हवस की नजरो से भी देखते है। देखना चाहते है जिस्म उसका। पर कहते है की कपड़े छोटे पाए है इसीलिए देखते है।
"लड़की" 👇
सोचता हु की इस जहान में लड़की ने क्या देखा है। कुछ को मारा गया गर्भ में। उन्होंने तो ये जहान भी नही देखा। कुछ आई जो इस जहान में। उनकी माओ ने लोगो के तानों को झेला है। जब हुई थोड़ी बड़ी तो लड़का लड़की का भेदभाव देखा है। जब बड़ी कुछ आगे तो चला पता की जाना पराए घर आना चाहिए काम काज। फिर अपने ख्वाब भूल कर रासोई और घर के कामों को देखा है। देखा जो लड़के को लाड प्यार से पलता फिर दिल को दुखता देखा है। जब हुई बड़ी गई पराए घर फिर अपने घर से जुदाई की आग को सेखा है। कुछ दिन चला ठीक फिर मार मिली, तेजाब मिला, कुछ को आग मिली कुछ के जिस्म को दरिंदो ने खुरेचा है। बात हो खत्म यहां तो फिर भी बात कोई बड़ी नहीं। पर कुछ ने तो मोहब्बत के नाम पर इनके दिलो से खेला है। कहा मिलता है कब मिलता है किया उमर में मिलता है चैन और सकून लड़कियों को बताओ तो सही। या कह दो ये की खुदा ने इनी चीजों के लिए लड़कियों इस जहान में धकेला है।
WRRITTEN BY:- KESHAV SHARMA
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